समर्थ

समर्थ

 सुभ अरू असुभ सलिल सब बहई। 

सुरसरि कोउ अपुनीत न कहई॥

समरथ कहु नहि दोश् गोसाईं। 
रवि पावक सुरसरि की नाई॥

shubh aru ashubh salil sab bahe.

 surasari kou apunit na kahai 

samarath kahu nahin dosh gosaeen

ravi paavak surasari kee naee


सुभ अरू असुभ सलिल सब बहई।  सुरसरि कोउ अपुनीत न कहई॥  समरथ कहु नहि दोश् गोसाईं।  रवि पावक सुरसरि की नाई॥



अर्थ

गंगा में पवित्र और अपवित्र सब प्रकार का जल बहता है परन्तु कोई भी गंगाजी को अपवित्र नही कहता। सूर्य, आग और गंगा की तरह समर्थ ब्यक्ति को कोई दोष नही लगाता है।

Meaning


All kinds of water, pure and impure, flows in the Ganga but no one calls the Ganga impure. Like the sun, fire and the Ganga, no one blames a capable person.

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